देखभाल का काम चुनने का कारण

देखभाल का काम चुनने का कारण

जापान आकर काम करने का फ़ैसला करने के बाद जापानी भाषा की पढ़ाई करने के साथ-साथ बहुत सारी तैयारियाँ भी करनी होती हैं। अपने देश से दूर जापान में काम करने के लिए अच्छी तरह से तैयारी करना भी ज़रूरी है और परिवार का समर्थन होना भी। साथ ही, थोड़ी फ़िक्र भी होती होगी कि नई भाषा और नये माहौल में ठीक से काम कर पाएँगे या नहीं। जापान में देखभाल कर्मी के तौर पर काम कर चुके कुछ लोगों ने हमें बताया कि उन्होंने देखभाल का काम क्यों चुना, पहले से क्या-क्या तैयारियाँ की और फ़िक्र दूर करने के लिए क्या किया।

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जापान में देखभाल का काम करने की राह क्यों चुनी?

हर किसी की वजह अलग थी। जैसे किसी को बचपन से ही एक बार जापान आने का मन था, तो कोई अपने देश में नर्स का काम करने के बाद मनोभ्रंश मरीज़ों की देखभाल करना सीखना चाहता था, तो कोई जापानी लोगों की मेहनत और लगन के बारे में जानकर उनके साथ काम करके देखना चाहता था। आइए, कुछ विदेशी देखभाल कर्मियों की जापानी आकर देखभाल का काम करने की वजह जानें।

“आगे चलकर आपने माता-पिता की देखभाल भी करनी होगी। इसलिए मैंने सोचा कि जापान जाकर देखभाल के बारे में अच्छी तरह सीख लूँ। देखभाल का काम बहुत पुण्य का काम है।” (M, म्याँमा)

“बचपन में हम एक अम्यूज़मेंट पार्क में जाते थे जिसे जापानी लोगों ने बनाया था। ऐसा पार्क बनाने वाले लोगों का देश एक बार देखने का बहुत मन था। उसके बाद कॉलेज में मैंने नर्स बनने की पढ़ाई की। वहाँ के टीचर से पता चला कि जापान में देखभाल का काम कर सकते हैं तो मुझे लगा कि यह बहुत अच्छा मौका है।” (N, इंडोनेशिया)

“परिवार के लिए काम पर लगना ज़रूरी था पर उस समय फ़िलिपीन्स में नौकरियाँ कम थीं इसलिए विदेश जाकर काम करने का फ़ैसला किया। जापान में देखभाल का काम बहुत दिल से किया जाता है और तकनीक भी बढ़िया है इसलिए जापान में पढ़ने का मन बनाया।” (J, फ़िलिपीन्स)

“अपने देश में भी मैंने नर्स के तौर पर अस्पताल में काम किया है। मुझे बुज़ुर्गों की सेवा करना अच्छा लगता है इसलिए मनोभ्रंश के मरीज़ों की देखभाल करना सीखने के लिए जापान आने का फ़ैसला किया।”

(इंडोनेशिया के P)

 

अपने देश में रहते हुए जानकारी कैसे इकट्ठा की?

इंडोनेशिया की सुश्री रिसवन्ती ने बताया, “कॉलेज में मैं एक मरीज़ की देखभाल करने उनके घर जाती थी। उनके घर पर जापान में देखभाल के बारे में बात चल रही थी। वह सुनकर मैंने जापान में देखभाल के काम के बारे में इंटरनेट पर जानकारी ढूँढी।”

इसके अलावा भी लोग अलग-अलग तरीकों से जानकारी हासिल करते हैं जैसे जापान के स्वास्थ्य, श्रम व कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर मिलने वाली सूचनाओं से या कम्पनी में साथ काम करने वाले लोगों से।

“Japan Care Worker Guide अलग-अलग देशों में ऑनसाइन सेमिनार और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

इनके विडियो YouTube पर भी अपलोड किये जाते हैं। आप भी ज़रूर देखें।

विस्तृत जानकारी यहाँ उपलब्ध है।”

https://youtube.com/@japancareworkerguide

 

जापान आने की तैयारी में कितना समय लगता है?

अधिकतर लोग जापान आने या देखभाल का काम करने का फ़ैसला करने के लगभग एक से डेढ़ साल बाद जापान आते हैं। जापानी भाषा के स्तर और देखभाल के काम में दिलचस्पी के स्तर के हिसाब से ये समय ज़्यादा या कम हो सकता है। इसके अलावा, परिवार की अनुमति मिलने या काम करने के लिए देखभाल केन्द्र ढूँढने में भी सबको अलग-अलग समय लगता है। वियतनाम की सुश्री होआँग थी गोक आन ने बताया, “मैंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद जापान में देखभाल करने का फ़ैसला किया था। उसके बाद जापान आने में लगभग डेढ़ साल का समय लगा।”

जापान आने से पहले सबसे ज़रूरी तैयारियों में से एक है रहने की जगह चुनना। सुश्रा होआँग ने कहा, “जापान में रहने की जगह चुनने के लिए मैंने उस देखभाल केन्द्र के लोगों की सलाह ली जहाँ मैं काम करने वाली थी। जापान आने से पहले उनसे बहुत कुछ पूछा जैसे मकान का किराया कितना लगेगा, अकेले रहूँ या किसी के साथ, देखभाल केन्द्र के पास रहूँ या दूर, पैदल जाने की दूरी पर रहूँ या साइकिल से जाने की और आस पड़ोस का माहौल केसा है, कोई खतरा तो नहीं है। सबने मेरी बहुत मदद की।”

 

परिवार की अनुमति भी ज़रूरी

इंडोनेशिया की सुश्री रिसवन्ती ने बताया कि वे जापान आकर देखभाल का काम इसलिए कर पायीं क्योंकि उन्हें परिवार का समर्थन मिला। उन्होंने बताया, “मेरे परिवार ने कभी मेंरे जापान जाने के फ़ैसले का विरोध नहीं किया। बल्कि कहा कि मन लगाकर काम करना। सबसे बड़ा सहारा मुझे अपने माता पिता की बात से मिला। उन्होंने कहा था कि परिवार की चिंता मत करो। जापान जाकर लगन से काम करो। हम तुम्हारे साथ हैं।”

दूसरी तरफ़ ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें माता-पिता को समझाना पड़ता है। फ़िलिपीन्स के श्री एल्बर्ट फ़र्नानडेज़ ने बताया, “शुरू-शुरू में मेरे माता-पिता ने जापान जाकर देखभाल का काम करने के फ़ैसले का विरोध किया था। उन्हें देखभाल के काम के बारे में कुछ भी पता नहीं था। शायद वे यह भी सोचते थे कि मुझे देखभाल कर्मी नहीं नर्स बनाना चाहिए। जब मैंने आराम से समझाया तो वे मेरी बात समझ गये और मेरा साथ देने लगे।”

 

जापान आने से पहले किसी बात कि चिंता थी?

इंडोनेशिया की सुश्री रिसवन्ती ने कहा, “जापान के रहन-सहन की। मैं मुसलमान हूँ। खाना-पीना अलग है। हलाल खाने के अलावा कुछ भी खाना मना है। मुझे फ़िक्र थी कि आस-पड़ोस की दुकानों में खाने की चीज़ें मिल पाएँगी या नहीं।”

जापान में रहने से जुड़ी कोई फ़िक्र होने पर अधिकतर लोग अपने देश से आए देखभाल कर्मियों की सलाह लेकर या देखभाल केन्द्र से जानकारी लेकर पहले से परेशानी का हल ढूँढते हैं। जैस-जैसे जापान आने का दिन पास आता है जापानी भाषा में बातचीत भी ज़्यादा करनी पड़ती है तो भाषा के बारे में भी चिंता सताने लगती है। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि उन्हें अपनी जापानी भाषा के स्तर की चिंता थी क्योंकि जापानी ठीक से नहीं बोल पाये तो कोई काम नहीं हो पाएगा। इसलिए उन्होंने जमकर पढ़ाई भी की।

खान-पान या धर्म और रहन-सहन से जुड़ी किसी भी बात की चिंता हो तो लोगों से बात करके देखें। आपकी समस्या का कोई न कोई समाधान ज़रूर निकल आएगा।